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किस बात की खामोशी है और किस बात का गम है, शुक्र है

किस बात की खामोशी है और किस बात का गम है, शुक्र है कि जो भी बेचैनी है वो कल से बहुत कम हैं #poetry #swatikisaayari
किस बात की खामोशी है और किस बात का गम है, शुक्र है कि जो भी बेचैनी है वो कल से बहुत कम हैं #poetry #swatikisaayari