ख्वाहिश है मेरे दिल की कि मैं भी थोड़ी सी ही सही मनमर्ज़ियाँ करूँ। तोड़ कर सारे बंधन सारे रीति-रिवाजों को हवा में खुलकर साँस लूँ। दम घुट रहा है मेरा अब इन जिम्मेदारियों और फ़र्ज़ के क़फ़स में, चाहता है दिल मेरा कि जिंदगी में मैं भी थोड़ी नाफरमानियाँ करूँ। सबकी ख़्वाहिशें पूरी करते-करते हमने अपनी सारी जिंदगी बिता दी, कचोटता है मन मेरा कि मैं भी अपनी थोड़ी सी ख्वाहिशें पूरी करूँ। 🎀 Challenge-442 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। 🎀 रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। 🎀 अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।