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ज़हर -ए -आबेहयात पिया जाए कैसे? तुम बिन जिया जाए क

ज़हर -ए -आबेहयात पिया जाए कैसे?
तुम बिन जिया जाए कैसे?
जीने के बहाने हजार सही मरने के ठिकाने लाख सही,
जिंदगी में रंजो -ओ -गम और आशियाने बाहर के तुमसे थे,
अफसाने उल्फत के बयां करूं कैसे?
तुम बिन जिया जाए कैसे?
माना कि तुम ख्वाबों- ख्यालों में बसे हो,
अब नींद ना आए तो सोया जाए कैसे
तुम बिन जिया जाए कैसे?
#सारिका दास

©Sarika Das #8LinePoetry
ज़हर -ए -आबेहयात पिया जाए कैसे?
तुम बिन जिया जाए कैसे?
जीने के बहाने हजार सही मरने के ठिकाने लाख सही,
जिंदगी में रंजो -ओ -गम और आशियाने बाहर के तुमसे थे,
अफसाने उल्फत के बयां करूं कैसे?
तुम बिन जिया जाए कैसे?
माना कि तुम ख्वाबों- ख्यालों में बसे हो,
अब नींद ना आए तो सोया जाए कैसे
तुम बिन जिया जाए कैसे?
#सारिका दास

©Sarika Das #8LinePoetry
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Sarika Das

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