"हवाएं" आज फिर से कलम उठाया है कुछ अर्स बाद दिल में उठे अल्फाज़ो को बयाँ करने का वक़्त आया है किताबों के पन्ने पलट ते हुए बईमान मौसम में चाय कि चुस्कियाँ लेते हुए वो हवाओं का यू कानों से गुजरना वो मासूम से चेहरे पे बिखरे हुए बालो का आना ओर वो बिन मौसम बरसात न जाने किस सोच में डूबे हुए थे कि किताबों के पन्ने आपस मे उलझते जा रहे है हम किसी की यादों में खोए हुए थे हवाओं के रुख को बदलते हुए देख रहे थे मौसम को तो यूँही बेवज़ह बदनाम कर रहे थे भटके हुए तो हम थे ही कुछ हवाओ को दोष देइ जा रहे थे।।। #हवाएं #randomthoughts #scribbling #thinking