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इक #हिन्दू की गद्दारी से, #चित्तौड़ हुआ #शर्मिंदा

इक #हिन्दू की गद्दारी से,
#चित्तौड़ हुआ #शर्मिंदा था।

जब #रणभेरी थी #दक्खिन में,
और #मृत्यु फिरे मतवाली सी,

और वीर #शिवा की तलवारें,
भरती थीं खप्पर #काली सी।

किस #म्लेच्छ में रहा जोर,
जो #छत्रपती को झुका पाया,

ये #जयसिंह का ही रहा द्रोह,
जो वीर #शिवा को पकड़ लाया।

गैरों को हम क्योंकर कोसें,
अपने ही #विष बोते हैं,

#कुत्तों की गद्दारी से,
#मृगराज पराजित होते हैं।

#बापू जी के मौन से हमने
#भगत सिंह को खोया है,

धीरे हॉर्न बजा रे पगले,
देश का हिन्दू सोया है ।

©Shivam Tiwari #Winters
इक #हिन्दू की गद्दारी से,
#चित्तौड़ हुआ #शर्मिंदा था।

जब #रणभेरी थी #दक्खिन में,
और #मृत्यु फिरे मतवाली सी,

और वीर #शिवा की तलवारें,
भरती थीं खप्पर #काली सी।

किस #म्लेच्छ में रहा जोर,
जो #छत्रपती को झुका पाया,

ये #जयसिंह का ही रहा द्रोह,
जो वीर #शिवा को पकड़ लाया।

गैरों को हम क्योंकर कोसें,
अपने ही #विष बोते हैं,

#कुत्तों की गद्दारी से,
#मृगराज पराजित होते हैं।

#बापू जी के मौन से हमने
#भगत सिंह को खोया है,

धीरे हॉर्न बजा रे पगले,
देश का हिन्दू सोया है ।

©Shivam Tiwari #Winters