आज कल रिशते कांच सरिखे होते है...... टूट कर बिखर ही जाते हैं.... समेटने की जेहमत कौन करे... इसलिये ... अब लोग नया कांच ही ले आते ... है..... #रिशते #गुड मॉर्निंग फ्रेंड्स ©rishabh saxena #Twowords