मै चल रहा हू बिना थके चलता है जैसे सूरज जैसे तारे क्योकि कल हम फिर होगे कामयाब रास्ते मिलेंगे मंजिल होगी और वो सब साथ होगे जो मुझसे रिस्ता आज तोड़ चुके मनीष सोहगौरा एडवोकेट रीवा #Morning मनीष सोहगौरा एडवोकेट रीवा द्वारा लिखी गई कविता इसका शीर्षक है उम्मीद