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मै चल रहा हू बिना थके चलता है जैसे सू

मै चल रहा हू 
बिना थके           
चलता है 
जैसे सूरज            
जैसे तारे 
क्योकि कल           
हम फिर 
होगे कामयाब              
रास्ते मिलेंगे
मंजिल होगी             
और वो सब 
साथ होगे      
जो मुझसे रिस्ता 
आज तोड़ चुके   
मनीष सोहगौरा एडवोकेट रीवा #Morning मनीष सोहगौरा एडवोकेट रीवा द्वारा लिखी गई कविता इसका शीर्षक है उम्मीद
मै चल रहा हू 
बिना थके           
चलता है 
जैसे सूरज            
जैसे तारे 
क्योकि कल           
हम फिर 
होगे कामयाब              
रास्ते मिलेंगे
मंजिल होगी             
और वो सब 
साथ होगे      
जो मुझसे रिस्ता 
आज तोड़ चुके   
मनीष सोहगौरा एडवोकेट रीवा #Morning मनीष सोहगौरा एडवोकेट रीवा द्वारा लिखी गई कविता इसका शीर्षक है उम्मीद