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ये कविता एक माँ के प्रति श्रद्धांजलि है । इस कवित

 ये कविता एक माँ के प्रति श्रद्धांजलि है ।  इस कविता में एक माँ के आत्मा की यात्रा स्वर्गलोक से ईह्लोक पे गर्भ धारण , बच्ची , तरुणी , युवती , माँ , सास , दादी के रूप में क्रमिक विकास और फिर देहांत और देहोपरांत तक दिखाई गई है। अंत में कवि माँ की महिमा का गुणगान करते हुए इस कविता को समाप्त करता है।     

माँ

आओ एक किस्सा बतलाऊँ,एक माता की कथा सुनाऊँ,
कैसे करुणा क्षीरसागर से, ईह लोक में आती है?
धरती पे माँ कहलाती है।
 ये कविता एक माँ के प्रति श्रद्धांजलि है ।  इस कविता में एक माँ के आत्मा की यात्रा स्वर्गलोक से ईह्लोक पे गर्भ धारण , बच्ची , तरुणी , युवती , माँ , सास , दादी के रूप में क्रमिक विकास और फिर देहांत और देहोपरांत तक दिखाई गई है। अंत में कवि माँ की महिमा का गुणगान करते हुए इस कविता को समाप्त करता है।     

माँ

आओ एक किस्सा बतलाऊँ,एक माता की कथा सुनाऊँ,
कैसे करुणा क्षीरसागर से, ईह लोक में आती है?
धरती पे माँ कहलाती है।