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*जब वो मेरी थी~Part-1* मेरे लिए अपने अपनों से भी

*जब वो मेरी थी~Part-1*

मेरे लिए अपने अपनों से भी लड़ती थी,
मुझसे भी ज़्यादा मेरी परवाह करती थी

हो जाए न जुदा कभी हम एक दूजे से,
इस ख़्याल भर से वो हमेशा डरती थी

बस मैं ही नहीं था दीवाना इश्क़ में उसके,
वो भी दिलों जान से मुझपे मरती थी

सजदे में महादेव के सर उसका झुकता था,
पर उनसे फरियाद वो मेरे लिए करती थी

गिरे जो मेरे आंखों से अश्क़ की एक भी बूँद,
तो इसके लिए वो अपने ख़ुदा से लड़ती थी

तपती धूप में मेरे सर पर वो छाँव घनेरी थी,
ये तबकी बात है जब वो मेरी थी

~ शिवांश      #urstrulyShiv

©Shivansh Srivastav *जब वो मेरी थी~Part-1*

मेरे लिए अपने अपनों से भी लड़ती थी,
मुझसे भी ज़्यादा मेरी परवाह करती थी

हो जाए न जुदा कभी हम एक दूजे से,
इस ख़्याल भर से वो हमेशा डरती थी
*जब वो मेरी थी~Part-1*

मेरे लिए अपने अपनों से भी लड़ती थी,
मुझसे भी ज़्यादा मेरी परवाह करती थी

हो जाए न जुदा कभी हम एक दूजे से,
इस ख़्याल भर से वो हमेशा डरती थी

बस मैं ही नहीं था दीवाना इश्क़ में उसके,
वो भी दिलों जान से मुझपे मरती थी

सजदे में महादेव के सर उसका झुकता था,
पर उनसे फरियाद वो मेरे लिए करती थी

गिरे जो मेरे आंखों से अश्क़ की एक भी बूँद,
तो इसके लिए वो अपने ख़ुदा से लड़ती थी

तपती धूप में मेरे सर पर वो छाँव घनेरी थी,
ये तबकी बात है जब वो मेरी थी

~ शिवांश      #urstrulyShiv

©Shivansh Srivastav *जब वो मेरी थी~Part-1*

मेरे लिए अपने अपनों से भी लड़ती थी,
मुझसे भी ज़्यादा मेरी परवाह करती थी

हो जाए न जुदा कभी हम एक दूजे से,
इस ख़्याल भर से वो हमेशा डरती थी