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गर होता कुछ मेरे हाथ में तो- कुछ यादें मिटा देता

गर होता कुछ मेरे हाथ में तो-
 कुछ यादें मिटा देता
कुछ बातें भुला देता
दियें होंगे जख्म किसी को कभी
वापस होकर मरहम लगा देता...
गर होता कुछ मेरे हाथ में--
सब किये हुये गिले-शिकवे समेट लेता..
"फ़हीम" तो हूँ नहीं इतना,
जितना होता उतनी अदब सिखा देता
लफ्ज़ो से तो कुछ कहा भी न गया उस "जहरा"से
अब कर दें वो थोडी "फ़जल" अगर
पूरी दिल-ए-दस्तान सुना लेता....
गर होता कुछ मेरे हाथ में ?

©Love Arya
  #गर_होता_कुछ_मेरे_हाथ_में Dhyaan mira  Ruchi Jaiswal writer Sunita singh Dear Diary✍🏻