पर अभी भी वो राह ढूंढता हूं जहां टूट जाऊं, बिखर जाऊं और फिर से जुड़ जाऊं अनुभवों का ऐसा पैगाम ढूंढता हूं बहती हवा जब टहनी हिलाती है लगी धूल की परत भी गिर जाती है ऐसी हवा का मैं जाम ढूंढता हूं मन की नसें उधेड़ कर रख दे ऐसी एक किताब ढूंढता हूं माना कि नाकाम हूं मैं पर अभी भी वो राह ढूंढता हूं जहां टूट जाऊं, बिखर जाऊं और फिर से जुड़ जाऊं अनुभवों का ऐसा पैगाम ढूंढता हूं बहती हवा जब टहनी हिलाती है लगी धूल की परत भी गिर जाती है