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तन्हा महफ़िल थी मगर रुबाई का दौर बादस्तूर था खुद से

तन्हा महफ़िल थी मगर रुबाई का दौर बादस्तूर था
खुद से ही खुद वाह वाही लूटती 
हमारी रुसवाई का वो आलम 
बड़ा ही चश्म ए बद्दूर था।
- अदिती कपीश अग्रवाल
 ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1008 #collabwithकोराकाग़ज़

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊

♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।

♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
तन्हा महफ़िल थी मगर रुबाई का दौर बादस्तूर था
खुद से ही खुद वाह वाही लूटती 
हमारी रुसवाई का वो आलम 
बड़ा ही चश्म ए बद्दूर था।
- अदिती कपीश अग्रवाल
 ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1008 #collabwithकोराकाग़ज़

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