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•| Antakstory |• "जो है समा कल हो ना हो" (पूर्ण

•| Antakstory |•

"जो है समा
कल हो ना हो"

(पूर्ण कहानी अनुशीर्षक में) 
एक बंगले में एक बेटा बहू और बूढ़ी मां रहते थे। मां अक्सर बीमार रहती थी। वह रोज़ बेटे को कहती थी कि बेटा, मुझे डॉक्टर के पास ले चलो। पर बेटा कल - कल पर टाल जाता था या बीवी को बोल देता था। इसी तरह एक दिन :-
मां :- "बेटा आज तो मुझे अस्पताल ले चल।"
बेटा :- "मां आज मेरी ज़रूरी मीटिंग हैं। कल पक्का ले चलता हूं।"
मां :- "बेटा मेरी खांसी बढ़ती जा रही है।"
बेटा (पत्नी से) :- "तुम मां को ले जाना, मैं तो फैक्ट्री के काम में व्यस्त रहता हूं। क्या तुम मां का चेकअप नहीं कर सकती हो?"
बहु :- "अरे गई तो थी पिछल
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"जो है समा
कल हो ना हो"

(पूर्ण कहानी अनुशीर्षक में) 
एक बंगले में एक बेटा बहू और बूढ़ी मां रहते थे। मां अक्सर बीमार रहती थी। वह रोज़ बेटे को कहती थी कि बेटा, मुझे डॉक्टर के पास ले चलो। पर बेटा कल - कल पर टाल जाता था या बीवी को बोल देता था। इसी तरह एक दिन :-
मां :- "बेटा आज तो मुझे अस्पताल ले चल।"
बेटा :- "मां आज मेरी ज़रूरी मीटिंग हैं। कल पक्का ले चलता हूं।"
मां :- "बेटा मेरी खांसी बढ़ती जा रही है।"
बेटा (पत्नी से) :- "तुम मां को ले जाना, मैं तो फैक्ट्री के काम में व्यस्त रहता हूं। क्या तुम मां का चेकअप नहीं कर सकती हो?"
बहु :- "अरे गई तो थी पिछल
mahimajain6772

Mahima Jain

New Creator