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परिंदे आजमाए जा रहे थे परौ से घर बनाए जा रहे थे

परिंदे आजमाए जा रहे थे 
परौ से घर बनाए जा रहे थे 

उधर सूरज सुरून पर आ चुका था 
इधर जिस्मों के साए जा रहे थे 

बड़ी मुश्किल से मैंने अपनी आंखें खोली 

मुझे सपने दिखाए जा रहे थे

©yashvendra sisodiya उजड़े खाब

#alone
परिंदे आजमाए जा रहे थे 
परौ से घर बनाए जा रहे थे 

उधर सूरज सुरून पर आ चुका था 
इधर जिस्मों के साए जा रहे थे 

बड़ी मुश्किल से मैंने अपनी आंखें खोली 

मुझे सपने दिखाए जा रहे थे

©yashvendra sisodiya उजड़े खाब

#alone