जीत पक्की है... कुछ करना है, तो डटकर चल। थोड़ा दुनियां से हटकर चल । लक पर तो सभी चल लेते है, कभी इतिहास को पलटकर चल। बिना काम के मुकाम कैसा? बिना मेहनत के, दाम कैसा ? तक ना हाँसिल हो मंज़िल जब तो राह में, आराम कैसा ? अर्जुन सा, निशाना रख, मन में, ना कोई बहाना रख । जो लक्ष्य सामने है, बस उसी पे अपना ठिकाना रख। सोच मत, साकार कर, अपने कर्मों से प्यार कर । मिलेगा तेरी मेहनत का फल, किसी और का ना इंतज़ार कर । जो चले थे अकेले उनके पीछे आज मेले हैं। जो करते रहे इंतज़ार उनकी जिंदगी में आज भी झमेले है। सोंच बदलो, जिंदगी बदलो ! #cse #mppsc ©पूर्वार्थ #STUDY_TABLE