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जानती थी उस भीड़ में वो चेहरा ढूंढ पाना मुमकिन नही

जानती थी उस भीड़ में वो चेहरा ढूंढ 
पाना मुमकिन नहीं 
नज़र ढूंढ़ती रही हर शाम
 मगर तुम को 
ये लहज़ा, ये कलम, कागज़ो में मिलते हुए जाम 
पूछते हो औ राह रो ले चलेगी कहाँ
तलक हमको 
कोहरे से ढका ढका बेगाना सफर 
हर एक पैमाने के बाद नज़र 
मिलाती हूँ साकी 
शीशे के अंदर की क्या खबर तुमको 
चाहत, ख्वाब, ख़िज़ाँ , अफ़सोस 
तक रही हैं मेरी सहर किस क़दर 
तुमको 
ये यक़ीं का झरना जादुई रंगत खुसी 
की बात 
ग़ज़लें सुनती हूँ तुम्हे या ग़ज़लों 
को  सुनाती हूँ  तुमको

©pooja gupta #Yuhi #kuchbhi #bde #Waqt #samay #Time #tum #Hum #Dil #Log  Puneet Arora Sunny Anupriya Yogendra Nath Yogi sandeep rawat surender kumar
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pooja gupta

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