ठहर जरा मैं लौटकर आऊंगी, तेरे इश्क को मुकम्मल कर जाऊँगी, यूँ तो इंतजार भी रंग है इक इश्क़ का, मगर रूह में छिपा कर कहीं, बरकरार रखना तुम पाकीजगी वक्त की, यूँ कि कैद नहीं, रिहाई हूँ, मयस्सर ही कैसे मिल जाऊँगी । #mysha #ek_khayal_hai #waqt #intezaar #yqdidi #newwritersclub #YourQuoteAndMine Collaborating with Mysha