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सरस्वती नदी को केंद्र में रखकर संपादित पुस्तक निरू

सरस्वती नदी को केंद्र में रखकर संपादित पुस्तक निरूपा सरस्वती के लोक कल्याण समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संचालक मोहन भागवत ने अपने वक्त में भारतीय इतिहास को उसकी सत्यता पर गर्व पूर्व में उठाए गए सवालों का कटाक्ष किया उन्होंने अंग्रेजों की मनसा को रिटर्न करते हुए कहा कि अंग्रेजों ने बताया कि भारत का ना तो कोई राणा गोरव है और ना ही धन गौरव वेद पुराण भंग के नशे में गए गीत भारतीय इतिहास को पोलका पीते हैं यह बताते हुए मोहन भागवत ने इस बात पर बल दिया कि भारतवर्ष की प्राचीनता और सनातन की सत्यता को स्थापित करना होगा इसके लिए विद्वानों और नई पीढ़ी को प्रमाण देना होगा कि इतिहास के पन्ने बदल दिए गए भाषा बदल दी गई है गुलामी के कालखंड में बदले हुए प्रमाण पर भाषा को ही प्राथमिकता दी है इसके लिए आवश्यक है कि स्थापित करने के लिए तैयार की जाए जो प्रमाणित करने वाले और उसके गौरव को स्थापित करने वालों को इस पर आगे बढ़ना ही होगा होनी चाहिए इसके बाद हत्या को महत्व देने से इतिहास को बदलता है शब्दों का चयन करता है तो उसकी अगर हम प्राचीन भारत को लिख रहे हैं होते हैं वार्ड के स्थान पर यदि जाति का प्रयोग कर देते हैं तो इससे अर्थ ही बदल जाता है प्राचीन भारतीय इतिहासकार लेखन में जब सेलिब्रेशन को केंद्र में रखकर लेखन किया गया तो इससे भारत के शब्दों के प्रयोग में पूरा प्रदेश से बदल दिया गया

©Ek villain #प्रमाणिक लेखन से छूटेगा कोहरा

#Moon
सरस्वती नदी को केंद्र में रखकर संपादित पुस्तक निरूपा सरस्वती के लोक कल्याण समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संचालक मोहन भागवत ने अपने वक्त में भारतीय इतिहास को उसकी सत्यता पर गर्व पूर्व में उठाए गए सवालों का कटाक्ष किया उन्होंने अंग्रेजों की मनसा को रिटर्न करते हुए कहा कि अंग्रेजों ने बताया कि भारत का ना तो कोई राणा गोरव है और ना ही धन गौरव वेद पुराण भंग के नशे में गए गीत भारतीय इतिहास को पोलका पीते हैं यह बताते हुए मोहन भागवत ने इस बात पर बल दिया कि भारतवर्ष की प्राचीनता और सनातन की सत्यता को स्थापित करना होगा इसके लिए विद्वानों और नई पीढ़ी को प्रमाण देना होगा कि इतिहास के पन्ने बदल दिए गए भाषा बदल दी गई है गुलामी के कालखंड में बदले हुए प्रमाण पर भाषा को ही प्राथमिकता दी है इसके लिए आवश्यक है कि स्थापित करने के लिए तैयार की जाए जो प्रमाणित करने वाले और उसके गौरव को स्थापित करने वालों को इस पर आगे बढ़ना ही होगा होनी चाहिए इसके बाद हत्या को महत्व देने से इतिहास को बदलता है शब्दों का चयन करता है तो उसकी अगर हम प्राचीन भारत को लिख रहे हैं होते हैं वार्ड के स्थान पर यदि जाति का प्रयोग कर देते हैं तो इससे अर्थ ही बदल जाता है प्राचीन भारतीय इतिहासकार लेखन में जब सेलिब्रेशन को केंद्र में रखकर लेखन किया गया तो इससे भारत के शब्दों के प्रयोग में पूरा प्रदेश से बदल दिया गया

©Ek villain #प्रमाणिक लेखन से छूटेगा कोहरा

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Ek villain

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