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महकी महकी सी फ़ज़ा में रुप प्रकृति का महक रहा है भ

महकी महकी सी फ़ज़ा में
रुप प्रकृति का महक रहा है
भंवरे रहे ढूंढ रहे कलियों को
कलियों का दिल भी बहक रहा है
भीगे भीगे से मौसम में
चंचल चितवन से प्यार अपना उडेल रहा है
महकी महकी सी फ़ज़ा में
बादलों के अरमान भी मचल रहे हैं
बारिश की अल्हड़ बूंदों में
युगल प्रेमी भीग रहे हैं
उनके प्यार से महक रही है फ़ज़ा

©Beena Kumari
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Beena Kumari

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