जाने मुझको किसकी यादें आती है तन्हाई में। मेरा कोई पीछा करता है मेरी परछाई में।। , चाँद सितारों तक जाते है जाने वाले जाने दो। मुझको अपनी कब्र बनाकर जाना है गहराई में।। , दुनियांदारी से हम जैसे लोगों को क्या मतलब। रहने वाले रहते होंगें दुनिया की रानाई में।। , जानें कैसी कैसी यादें रह रहकर के उठती है। जैसे कोई दरवाज़े से झाँकता हो पुरवाई में।। , आख़िर सच्ची सच्ची बातों से भी क्या कुछ होना है। ज़िंदा रहकर मर जाना है क्या है सब सच्चाई में।। #रमेश ©Ramesh Singh