क्या होगा अब मेरा । जो में तुमसे टूट कर गिर चुका हू । उडूंगा, गलूंगा या मिलूंगा मिट्टी में,,। क्योंकि में तुमसे छूट चुका हू।। गोवर्धन मेहरा