दिल पर कोई जोर नहीं। with १००words #१00 शब्दो की कहानी दिल पर कोई जोर चलता नहीं, तभी तो पीहू,वो सपने पूरे करने मेरठ चली गयी। अपने जंहा से मीलो दूर, पीहू को सपने पूरे करने की ललक, कुछ कर जाने का तमन्नाा, डिप्लोमा के बाद इंटर्न शिप और फिर जॉब, जिंदगी की दौड़ में शामिल थी वो, पर उसका जी तो जैसे किसी कॉलेज में लिब्रेरी मे घुम रहा हो। एक रात उसे डिग्री की पढाई के लिए msg आया आपकी आवेदन को स्वीकृति मिल गयी है, आप जाब के साथ आगे पढ़ सकती है। अगली सुबह उसने जैसे तेसै लगने वाली फीस का इंतज़ाम किया और मेरठ के लिए निकल गयी। आज पीहू अपने संघर्ष के साथ आगे बढ़ रही है। हाँ वो पढ़ रही हैं। आज वो अपने दिल की बुते दिमाग से चल रही हैं। क्यों की दिल पर कोई जोर नहीं चलता।