रात का सुंकू ! एक जंन्नत सा ,काफी है इश्क़ करने को तो पूरा जहां बाकी है । ऐसा सीसा तलाश करो जो मोहित करे हमको पत्थर बनने को तो ये जहान ही काफी है । मेरी बराबरी ! कर सको तो बढ़ाना कदम मेरे मांजिलो के रास्ते में काटे अभी भी बाकी है। ©Mohit kumar #रातकासुकु #मोहोबत्त #इश्क़ #काटे #Books