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नारी अंत भी है आरम्भ भी है दुर्गा, लक्ष्मी का साक्

नारी अंत भी है आरम्भ भी है
दुर्गा, लक्ष्मी का साक्षात स्वरूप भी है
जगतजननी ये सृष्टि की पालनहार है
प्रेमत्व की सच्ची मूरत ये नारी अपरम्पार है।
 यह प्रतियोगिता संख्या -28  है
आप सभी कवि- कवयित्री का स्वागत है।
💐💐
 
🎧 चार(4) पंक्ति में रचना Collab करें

नया नियम:- आपके रचना post करने के बाद
                 आप जाँच पड़ताल कमेटी के किसी एक
नारी अंत भी है आरम्भ भी है
दुर्गा, लक्ष्मी का साक्षात स्वरूप भी है
जगतजननी ये सृष्टि की पालनहार है
प्रेमत्व की सच्ची मूरत ये नारी अपरम्पार है।
 यह प्रतियोगिता संख्या -28  है
आप सभी कवि- कवयित्री का स्वागत है।
💐💐
 
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नया नियम:- आपके रचना post करने के बाद
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