रात-दिन आँखों में आज भी पलते हैं सपने जो मेरे थे अधूरे, भूली नहीं हूँ सपनों को अपने, एक ना एक दिन करूँगी पूरे। माना अभी अपनों के सपनों को अपनाकर साकार कर रही हूँ, संग-संग अपने सपनों को भी पूरा करने का प्रयास कर रही हूँ। 🎀🎀 नमस्ते दोस्तों ! 🎀🎀 🎁 अनु शीर्षक में कुछ बदलाव ध्यान से पढ़ें 🎁 💝 प्रतियोगिता - ४४ 💝 शीर्षक दिया गया है उसी के अनुसार ही लिखें ।