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पंखुड़ियों से भी नाज़ुक है तुम्हारे होठों की सुर्ख

 पंखुड़ियों से भी नाज़ुक है तुम्हारे होठों की सुर्खियां..

कुछ बोले तो गुलाब कुछ ना बोले तो ठहरी हुई शराब..
 पंखुड़ियों से भी नाज़ुक है तुम्हारे होठों की सुर्खियां..

कुछ बोले तो गुलाब कुछ ना बोले तो ठहरी हुई शराब..