निश्छल प्रेम का पुष्प ......जब भी खिला है, किसी को किसी का साथ निःस्वार्थ मिला है, प्रेम की आराधना प्रेम मोती से सुमिरिन करे, कुछ ही पलों में फिर मिटता बैर व गिला है।। कृपया पिन पोस्ट जरूर पढ़े कृपया अपने 5 मित्रों को मेंशन करें कमेन्ट बॉक्स में कॉलब करने के बाद ऑप्शन बंद कर दे विधा:- शायरी मुक्तक 4 पंक्तियों में रचना लिखे हैशटैग #apki_lekhani #apk_lekhani बरकरार रखे समय सीमा आज रात 10 बजे तक मात्र त्रुटियों का ध्यान रखे