आज मुझे अपना बचपन याद आया। जब मैंने खुद को शीशे में निहारा, तो उन दिनों से कुछ अलग पाया। क्या रह गया पीछे अब समझ आया। उस बचपन में थोड़ी नादानी, थोड़ी शैतानी थी। हम सभी के पास अपनी-अपनी ही, एक अनोखी कहानी थी। लड़के-लड़की का भेदभाव ना था हमारे अंदर । कहते झोली बाबा पास मत जाना, भूत आ जाएगा तुम्हारे अंदर। जहाँ अंधेरे में भूत से डर था, तो दूसरी और भरोसा हनुमान जी पर था। अक्सर नई पेंसिल-रबड़ ले जाते स्कूल, या तो खो जाती,या फिर दोस्तों के पास जाते भूल। जब आते घर पर...! मां से बोलते डरकर,मां आज फिर से पेंसिल खो गई ! उस समय मां के चेहरे में गुस्सा, मन में प्यार था । स्कूल में दिया गया होमवर्क जैसे अत्याचार था। अपनी अलग ही.. छोटी-छोटी बड़ी परेशानी थी। सच उस बचपन में कितनी नादानी थी। अक्सर दोस्त, साथ न बैठने पर रूठ जाते, रूठने पर खट्टी, दोस्ती के लिए मिट्ठी मानी थी। उनको मैंने, अपनी आधी टाॅफी देकर भी मनाया। आज मैंने उन दिनों से खुद को अलग पाया। आज मुझे अपना बचपन याद आया। ©Shashank Singh Kushwaha हम सभी का #बचपन #special होता है , इस लिए कभी अपना #बचपना न खोयें , हमेशा खेलते , हंसते रहिये .. #हमारा बचपन #प्यारा बचपन थोड़ी #शैतानी #थोड़ी #नादानी #notojohindi #Poetry