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#विषय - गंगा #विधा - दोहा *********************


#विषय - गंगा
#विधा - दोहा 

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शिव शंकर के शीश से , मां गंगा का नीर।
धरती पर प्रवाह किया,  भागीरथ ने क्षीर।

गंगा मां  की  गोद में,  जीवन  दाता  धाम।
जीवन सदा सुखी रहें, मिलता सब आराम।

घाट- घाट गंगा  बसी, बनकर  मानव मात।
भेद भाव सब मिट गए, कहां तीर्थ में जात।

पावन गंगा घाट बने, मंदिर बने हजार।
निर्मल नीर बहे सदा, मां गंगा की धार।

उपवन सुंदर सज गया, गंगा मां का द्वार।
शंख  नगाड़े बज उठे, वेला शुभ त्योहार।

डॉ. भगवान सहाय मीना
बाड़ा पदमपुरा जयपुर राजस्थान।

©Dr. Bhagwan Sahay Meena
  जय गंगा मैया

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