लब्ज़ छूने का सलीक़ा एहसास के वो रंग आँखों में उमड़ते हुए बादल हवा के संग देखेंगे बोलो कैसे भला फिर हम मौसम वो रूह का रूमानियत की वो तरंग कह दें ये बात यों तो चश्मे तलब का क्या करेंगे हम जो दरम्याँ न होगे तुम वो लम्हा ग़ुलाबी कैसे जिएँगे हम #waitingfor#imagination#yqlove#yqhindi