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उदास और मायूस होकर लकड़हारा नदी किनारे बैठकर रोने ल

उदास और मायूस होकर लकड़हारा नदी किनारे बैठकर रोने लगा। कुल्हाड़ी खो जाने से लकड़हारा काफी दुखी था। लकड़हारे यह सोचने लगा की उसके पास इतने पैसे भी नहीं हैं की वह नयी कुल्हाड़ी खरीद सके।

जब लकड़हारा दुखी होकर नदी किनारे बैठा हुआ था तब नदी से एक देवता स्वरुप मनुष्य प्रकट हुए और उन्होंने लकड़हारे को आवाज़ लगाई। देवता ने लकड़हारे से पूछा की तुम इतने दुखी क्यों हो और तुम रो क्यों रहे हो। देवता के पूछने पर अपनी कुल्हाड़ी खोने की पूरी कहानी बताई। लकड़हारे की बात सुनकर देवता ने कहा की मैं तुम्हारे लिए कुल्हाड़ी ढूंढकर लाऊंगा ये बात कहकर देवता ने लकड़हारे को उसकी मदद का भरोसा दिलाया।

इसके बाद देवता नदी में समा गए और कुछ देर के बाद नदी से बाहर निकले। लकड़हारे ने देखा की देवता के हाथ में तीन तरह की कुल्हाड़ियाँ हैं। पहली कुल्हाड़ी को दिखाकर जो सोने की बनी हुई थी देवता ने लकड़हारे से पूछा की बताओ क्या यह कुल्हाड़ी तुम्हारी है ? लकड़हारे ने जवाब दिया की नहीं भगवन यह सोने की कुल्हाड़ी मेरी नहीं इसके बाद देवता ने चांदी की कुल्हाड़ी को दिखाते हुए पूछा
part-2🤝

©SaimaNisvani@077
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