धर्म यह भी नहीं विभीषण कि बैरी आगे झुक जाऊँ। राज का मोह लिए घर का भेद खुल खुल के बतलाऊँ। कोटि कोटि धन्यवाद तुझे तुमने तात को धर्म समझाया। स्वयं अपमानित होकर भी राम भक्ति का महत्व बतलाया। पर निकाल दिया तात ने घर से तो इतना काम किया होता। वहीं देहरी पर बैठ कर अन्न जल प्राण त्याग दिया होता। तू तो था बड़ा धर्मात्मा रामभक्त, तुझको क्या डर था। हमारा अंत होना ही था, पर तेरी मुक्ति होना तो तय था। पर हे भाई कैसा अपना ये अहित तुमने कर डाला। अपने नाम को अपने हाथों ही कलंकित कर ड़ाला। तेरी रामभक्ति और धर्म को हर कोई भूल जायेगा। कलयुग में तू घरभेदी और कायर विभीषण कहलायेगा।। कुम्भकर्ण - विभीषण संवाद रामायण के प्रसंगो पर आधारित कुम्भकर्ण विभीषण संवाद मेरे शब्दों में। #ramayan #hindipoetry #kumbhkaran #vibhishan #रामायण #ramaynprasang #yqmksmahi #nojoto #nojotohindi