नष्टो मोहः स्मृतिर्लब्धा त्वप्रसादान्मयाच्युत । स्थितोऽस्मि गतसंदेहः करिष्ये वचनं तव ॥ हम सब गीता पढ़ना चाहते हैं, समझना नहीं पढ़ना चाहते हैं, समझने वाला कृत्य में लाएगा, आचरण में नहीं उतार पाए, तो बस पढ़ना ही कहलाएगा, हम सब पहले अध्याय के, पहले श्लोक को ही पढ़ कर, मोह को नष्ट करना चाहते हैं,