मन की हया को मन ही जाने, पर तेरी हया को कौन जाने। मेरे सवालों का जवाब भी तेरे खयालातों में है, पर तेरी मन की खयालातों को कौन जाने। मैं अनजान अजनबी सा आया हूं तेरी बस्ती में, पर तेरे बस्ती में मुझे कौन पहचाने। मुसाफिर शहर का #मुसाफ़िर_हूँ_मैं_तन्हा #तंग_गलियाँ #इंतज़ार_एक_उम्मीद #बेसब्री_का_आलम