"क्या कहती हो ठहरो नारी! संकल्प अश्रु-जल-से-अपने। तुम दान कर चुकी पहले ही जीवन के सोने-से सपने। नारी! तुम केवल श्रद्धा हो विश्वास-रजत-नग पगतल में। पीयूष-स्रोत-सी बहा करो जीवन के सुंदर समतल में। आँसू से भींगे अंचल पर मन का सब कुछ रखना होगा- तुमको अपनी स्मित रेखा से यह संधिपत्र लिखना होगा। #लज्जा ©ajay panday #महिला दिवस