मेरी आखिरी सांस एक पल फिर सामने लाती है मेरे दुनिया से जाने के गम में माँ आंसू बहाती है उन दुखों के आंसू में मेरी मरी हुई तस्वीर थी अब भी बंद हैं मेरी आँखें जब माँ बिन आत्मा शरीर थी कभी न आये ऐसा दुःख मन लोगों का घबराया उन हताश चेहरों को मैं फिर से देख न पाया करुणा से दिल को भरकर माँ दुहाइयाँ देती है आँचल पूरा फैलाकर मेरी परछाइयां लेती है चेहरा मेरा देखकर माँ ने आंखों को मींच लिया विदा करने को मुझे माँ का पल्लू भी हाथों से खींच लिया अब भी नहीं कोई इच्छा है ना ही कोई होश है प्यारे चार दिनों के अंतिम दिन बस दुनिया में रोष है।। ©prashantwritez #navratri #poetry #poetsofnojoto #nojotopoetry #englishpoetry #lovepoetry #writingcommunity #writersofindia