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White कितने टुकड़ों में खुद को बांट के हम बैठे हैं

White कितने टुकड़ों में खुद को बांट के हम बैठे हैं।
बिना मतलब ही मन को डांट के हम बैठे हैं।

जिंदगी की नदी में हम पत्थर लुढ़कते पत्थर थे।
सारी दुनिया से खुद को छांट के हम बैठे है।।

कोई हीरा कोई पन्ना कोई मूंगा कोई मोती।
कोई सोना कोई चांदी कोई दीपक कोई ज्योति।
हैं सारे टाट के पैबंद जिसे बांट के हम बैठे हैं।

निर्भय चौहान

©निर्भय निरपुरिया #moon_day Kumar Shaurya Madhusudan Shrivastava Sudha Tripathi Sandeep Kumar Saveer Vishalkumar "Vishal"
White कितने टुकड़ों में खुद को बांट के हम बैठे हैं।
बिना मतलब ही मन को डांट के हम बैठे हैं।

जिंदगी की नदी में हम पत्थर लुढ़कते पत्थर थे।
सारी दुनिया से खुद को छांट के हम बैठे है।।

कोई हीरा कोई पन्ना कोई मूंगा कोई मोती।
कोई सोना कोई चांदी कोई दीपक कोई ज्योति।
हैं सारे टाट के पैबंद जिसे बांट के हम बैठे हैं।

निर्भय चौहान

©निर्भय निरपुरिया #moon_day Kumar Shaurya Madhusudan Shrivastava Sudha Tripathi Sandeep Kumar Saveer Vishalkumar "Vishal"