यह दीवारें कहती हैं, कि तुम नही आओगे। मुझे दिलाशा देना उन्होंने छोड़ दिया है, क्योंकि वक्त बहुत हो चुका है। कल रात हवा के आवेग से हमारी तस्वीर टूटी, तब से मनहूश दीवारों का संदेह सख्त गहरा हो गया है। कहती हैं, कि तुम नहीं आओगे.. लेकिन,मन मानना ही नहीं चाहता ,.. दिल स्वीकारना ही नहीं चाहता ,.. कि तुम नहीं आओगे..... जब से तुम गए हो, मैने तुम्हारी हर बात को स्वीकार लिया है। जब से तुम गए हो,खिड़कियां खुली नहीं है। रोशनदान को अब कोई आफताब छेड़ता नहीं हैं, एक अरसा हो गया है, कि अब किसी से यह मन बोलता नहीं है, सुबह की लाली से मिलना मेरा होता नहीं है। गर्दिश में लिपटे परदे मैने, अब तक बदले नही है। सारे फूल मुरझा चुके हैं, नया फूल अब जचता नहीं है। ताज़ी स्याही से कुछ किस्से लिखे थे,तुम्हारे आने की उम्मीद में.. वो सारे पन्ने पीले पड़ गए, जो मैंने तुम्हारे लिए लिखे थे. अब सुत बाकी खुद की रही नहीं है, मेरी आंखो में नमी बची नहीं है। तुम्हे तकती तकती आंखे अब, बंद होने की कगार पर है, आज भी मनहूस दीवारें कहती हैं कि, तुम नहीं आओगे... ©Ruksar Bano #नोजोटोहिंदी #Nojoto #deewarein #NojotoSahityaUtsav