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जाते-जाते न जाने क्यूं लम्हा एक ठहर गया, देकर दर्द

जाते-जाते न जाने क्यूं लम्हा एक ठहर गया,
देकर दर्द जुदाई का न जाने किस शहर गया,
हंसते हैं वो इस तरह से मानो कुछ हुआ ही नहीं ,
आग लगी थी कहीं पर, पानी कहीं पर बह गया।

कई तजुरबे दे गये इश्क के वो चार दिन,
आधा भरा था पैमाना, आधा खाली रह गया,
जाते हुए लम्हों मुझ पर कुछ इल्जा़म तो कहो,
कागज़ पे कुछ लिखा था, कुछ बाकी रह गया... #भूलीकहानी #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
जाते-जाते न जाने क्यूं लम्हा एक ठहर गया,
देकर दर्द जुदाई का न जाने किस शहर गया,
हंसते हैं वो इस तरह से मानो कुछ हुआ ही नहीं ,
आग लगी थी कहीं पर, पानी कहीं पर बह गया।

कई तजुरबे दे गये इश्क के वो चार दिन,
आधा भरा था पैमाना, आधा खाली रह गया,
जाते हुए लम्हों मुझ पर कुछ इल्जा़म तो कहो,
कागज़ पे कुछ लिखा था, कुछ बाकी रह गया... #भूलीकहानी #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
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