कलम उठा कर क्या ख़ूब कहर बरपा रही है वो कुछ हैवान क़े चलते हर पुरूष क़ो बलात्कारी बता रही है वो ज़रा ठहरिये औऱ ग़ौर कीजिये... ज़रा सोचिये तब शोर कीजिये... हर पुरुष बलात्कारी नहीं होता रक्षक भी होतें है हर पुरुष भक्षक नहीं होता कितने सबूत दूँ क़ि हर औरत सही नहीं होतीं होती होंगी एंजेल किन्तु हर लड़की एंजेल नहीं होती हा बोला हमने आप के आँखों को साग़र सा गहरा हा बोला हमने आपके केसूवो को बादल का पहरा क्या हमने नारी की लियें सशक्त नारे नहीं लिखें क्या आंदोलनों में हर क़दम पर हम खड़े नहीं दिखें कोरे पन्नों पर एक नफ़रत की लक़ीर बना रही वो कुछ हैवानों के चलते हर पुरुष को बलात्कारी बता रही वो.. -कुमार मुकेश-. #nojoto#quotes#मk