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भज मन त्रिभुवन पति त्रिपुरारी मन में भाव जगाके के

भज मन त्रिभुवन पति त्रिपुरारी
मन में भाव जगाके के ना
जो चहिए सब कुछ मिल जइहें
छोड़ उदासी ना
भज मन त्रिभुवन.......
आदि अंत करुणा के स्वामी
जगत नियंता पुजित भवानी
सब सुखराशी ना
भज मन त्रिभुवन.......
शीश जटा मां गंग विराजें
माथे चंद्र गले भुज छाजे 
भाव अभिलाषी ना
भज मन त्रिभुवन.......
देव दनुज सब नावहि माथा
जो जस भाव करे तस पाता
"सूर्य" कैलाशी ना
भज मन त्रिभुवन.......

©R K Mishra " सूर्य "
  #ओम_नमः_शिवाय  Puja Udeshi Rama Goswami Ƈђɇҭnᴀ Ðuвєɏ अभिलाष द्विवेदी (अकेला ) एक अनपढ़ शायर PRIYANK SHRIVASTAVA 'अरमान'