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1222 1222 1222 1222 मिरी निसबत क़लम से तो बहुत ज़्या

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मिरी निसबत क़लम से तो बहुत ज़्यादा पुरानी है
बहुत लिक्खी ग़ज़ल मैंने सभी को अब सुनानी है

लबों से जब छुआ तूने मुझे जैसे मिली जन्नत
हुआ जो इश्क़ तुझसे अब सनम ये तो रुहानी है

शब-ए-हिज्रां में तुम मेरा न पूछो हाल कैसा था
लगी जो आग सीने में मुझे उसको बुझानी है

नहीं समझा अभी तक ज़िन्दगी क्या चाहती मुझसे
कभी मिलती ख़ुशी मुझको कभी ग़म की रवानी है

बड़ा मुश्किल हुआ जीना, ख़ुदा दुन्या में तेरी अब
मिलावट है हवा में अब बहुत ज़हरीला पानी है

किसी का भी नहीं आसाँ "सफ़र" होता समझले तू
सुनाऊँ क्या तुझे मैं वो अधूरी जो कहानी है निसबत- सम्बंध

#yqbaba #yqdidi #shayari #सफ़र_ए_प्रेरित #love #philosophy
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मिरी निसबत क़लम से तो बहुत ज़्यादा पुरानी है
बहुत लिक्खी ग़ज़ल मैंने सभी को अब सुनानी है

लबों से जब छुआ तूने मुझे जैसे मिली जन्नत
हुआ जो इश्क़ तुझसे अब सनम ये तो रुहानी है

शब-ए-हिज्रां में तुम मेरा न पूछो हाल कैसा था
लगी जो आग सीने में मुझे उसको बुझानी है

नहीं समझा अभी तक ज़िन्दगी क्या चाहती मुझसे
कभी मिलती ख़ुशी मुझको कभी ग़म की रवानी है

बड़ा मुश्किल हुआ जीना, ख़ुदा दुन्या में तेरी अब
मिलावट है हवा में अब बहुत ज़हरीला पानी है

किसी का भी नहीं आसाँ "सफ़र" होता समझले तू
सुनाऊँ क्या तुझे मैं वो अधूरी जो कहानी है निसबत- सम्बंध

#yqbaba #yqdidi #shayari #सफ़र_ए_प्रेरित #love #philosophy