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बहू बेटी का मान... दान का मतलब सिर्फ itna कि दो और

बहू बेटी का मान...
दान का मतलब सिर्फ itna कि दो और भूल जाओ
जैसे धन दान...या विद्या दान...
पर अगर कन्यादान का मतलब भी यही है कि
बेटी दो और भूल जाओ तो...
जाओ मैं नहीं manti किसी कन्यादान ko...
क्यो maanu..किसके लिए..बहू कोई चीज़ nahi जिसे m दान में लू...
नहीं ये मुझे हरगिज sawikar नहीं
बहू के रूप में मैं laungi लक्ष्मी...
बहू के रूप में मैं पाउंगी बेटी...
कैसे अपने घर की raunak को दान का नाम दे दूं...
कैसे अपनी समधियो से uss दान का मान ले लू...
 नहीं ये मुझे हरगिज sawikar नहीं...
कहते हैं कन्या दान दुनिया का सबसे बड़ा दान है..
Jise देने वाले shayad तर jate होंगे...
पर m कैसे ऐसा दान ले लू..
Isey लेने वाले भी to bandh जाते होंगे..
मुझे तो बहू के रूप में सहेली चाहिए
जो मुझसे रीतिरिवास सीखे और मुझे दुनिया के साथ रखे
जो हमें अपना maankar अपनी पूरी जिंदगी हमारे saath rahe...
जो संग हमारे खेले..जो संग हमारे रो दे..
हर पल हर वक्त..दोनो घरो में खुशियां पिरो दे..
 Jise देवर और nanad bhii मां सा प्यार दे 
Taaki vo bhii देवरो पर सब कुछ निसार दे...
वो jo nanad में अपनी बहन aur सहेली खोजे..
हां...m मानती हूं..इसी कन्यादान को..
जहां बेटी ka maayka हमेशा साथ हो..
कभी भी कुछ भी करने से pehle
कभी भी कुछ भी कहने से पहले
उन्हें सोचना न पडे......
जो dono घरो के बीच की कड़ी हो...जिसकी वजह से unme कभी ना duri हो...
मुझे कन्यादान के साथ kanyamaan चाहिए...
मेरी बेटी के लिए... आपकी बेटी के लिए... सबकी बेटी के लिए...
तबी तो वो होगा बहू बेटी का मान...

©Prachii Deepak Goel
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