लम्हे लम्हे मे रेज़ा रेज़ा सा हुआ जा रहा हूँ ! कुछ इस तरह मैं जीते जी मारा जा रहा हूँ !! दिल मे दर्द है इन होठों पे रंज, न जाने कैसा, तीन दिनों से बस हर पल रोता जा रहा हूँ!! मुझपे क्या गुज़र रही है इन दिनों किसे बताऊँ, हर पल पशेमानी की आग मे जला जा रहा हूँ!! क्या इसी तरह तड़पना है मुझे अभी कई जन्म, कई जन्मो से इसी तरह तुम्हे खोता जा रहा हूँ !! -बिजेंद्र प्रताप #NojotoQuote