प्रेम का ऐसा भी, मुक़द्दर देखा हमने..... मैदाने-ऐ-इश्क में हारा, सिकंदर देखा हमने..... इश्क की हर कश्ति को, मिलता नही किनारा यहाँ..... रिश्तों की नाव घेरते, अपनों का भँवर देखा हमने...... ✍️✍️रंजन कुमार मिश्रा ©रंजन कुमार मिश्रा #boat