Trust me चाहतों में घिरी ज़िन्दगी चाहतों में कट रही, चाहतें मगर हैं बढ़ रही क्यों चाहतें ना कट रहीं। तलाश में सुकून के इंसा फिरे यहाँ वहाँ, ज़िन्दगी में ज़िन्दगी की, ज़िन्दगी ना मिल रही। हो उदास मैं एक दिन आईने में देखकर, पूँछ बैठा ख़ुद से ही, एक सवाल रूठकर। कहाँ मिलेगा सुकूँ और कहाँ ज़िन्दगी, आईने ने दिखाया मुझे ज़िन्दगी का आयना। बोल पड़ा मुस्कुरा के तुझमें ही है सुकूँ तुझमें ही है ज़िन्दगी तुझमें ही है सुकूँ तुझमें ही है ज़िन्दगी। #जीतकीकलम #zindagi #life #poetry #mirror #trust #JeetKiKalam