ज़माना ,मालो-ज़र का है । फसाना , हर इक घर का है। रिश्ते-नाते , अब नहीं रहे, यह कहना , हर बशर का है। ख़ाक़े-चमन का , ग़िला किससे, चराग़ तो, अपने घर का है। इक पल के ,सुकून की बात नहीं, मामला ,शामो-सहर का है। पत्तों की पेशियाँ , क्योंकर , गुनाह तो, शजर का है। अंधेरे हमारा, नसीबा हैं, जवाल ,शम्शो-क़मर का है। क़त्ले-हुश्ने-जहाँ का, क्या कीजे, कारनामा , इक नज़र का है। अभी से नज़रें , चुराने लगे हो, क्या इरादा नहीं ,आगे सफर का है। अंधेरों मे साया भी ,छोड़ जाता है, यह कहना किसी, मोतबर का है। कैसे भूल जाएँ, उसे हम "फिराक़", सौदा तो हमारा, सारी उमर का है। नमस्कार लेखकों! 🌺 आज का WOTD (Word Of The Day)— स्वच्छंदता or Freedom. Meaning: स्वाधीनता। 🌻दिए गए शब्द का अपने लेखन में प्रयोग किजिये। 🌻अपने लेखन को आप अपनी मर्ज़ी मुताबिक हिंदी या English में अभिव्यक्त कर सकते है। (Both Hindi and English are allowed.)