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सांसें लेता सन्नाटा है...🍃 अंदर जो शोर करता है,

सांसें लेता सन्नाटा है...🍃

अंदर जो शोर करता है,
"वो" बाहर कितना सन्नाटा है!

बवंडर जो उठे मन में,
महफ़िल में सहमा-सहमा है!

ये ख़ामोशी का मंज़र,
कितनी चीखे भरता है!

गूँगी सदियांँ बोल पड़ी हों जैसे,
कैसा बहरा सन्नाटा है!

दिन‌ ढले, सांझ पुकारे,
रात तले गहरा सन्नाटा है!

गूँज उठी है बस्ती में मिरी,
मुझसे मिलने कमरे में, आया कोई सन्नाटा है!

जागती आंँखें अंधी हो चलीं,
सांसें लेता सन्नाटा है!

🌸🌸🌸
("वो" - धड़कने)

©श्वेतनिशा सिंह ~🕊️ सांसें लेता सन्नाटा है...🍃

अंदर जो शोर करता है,
"वो" बाहर कितना सन्नाटा है!

बवंडर जो उठे मन में,
महफ़िल में सहमा-सहमा है!
सांसें लेता सन्नाटा है...🍃

अंदर जो शोर करता है,
"वो" बाहर कितना सन्नाटा है!

बवंडर जो उठे मन में,
महफ़िल में सहमा-सहमा है!

ये ख़ामोशी का मंज़र,
कितनी चीखे भरता है!

गूँगी सदियांँ बोल पड़ी हों जैसे,
कैसा बहरा सन्नाटा है!

दिन‌ ढले, सांझ पुकारे,
रात तले गहरा सन्नाटा है!

गूँज उठी है बस्ती में मिरी,
मुझसे मिलने कमरे में, आया कोई सन्नाटा है!

जागती आंँखें अंधी हो चलीं,
सांसें लेता सन्नाटा है!

🌸🌸🌸
("वो" - धड़कने)

©श्वेतनिशा सिंह ~🕊️ सांसें लेता सन्नाटा है...🍃

अंदर जो शोर करता है,
"वो" बाहर कितना सन्नाटा है!

बवंडर जो उठे मन में,
महफ़िल में सहमा-सहमा है!