अब तो मुझे गम-ए-फुर्क़त का दर्द भी नही होता क्योंकि हर वक्त इन लबों पर तुम्हारा नाम है रहता सोचा था दुनिया की नजरों से बचाने ज़िक्र नही करू तुम्हारा ये कमबख़्त दिल है कि जो तुम्हारा ज़िक्र किये बिना नही रहता वो पहले बोसे की महक आज भी मुझे दीवाना बना जाती है जिसका नशा आज भी मेरे चश्म-ए-मस्त में है झलकता वो पुराने हर लम्हों को याद कर दिल यादों के शहर है बस लिया जहाँ तुम्हारी वो कातिलाना तबस्सुम देख फूल है खिल उठता वो उस मोड़ पर ही तुम्हारे इंतज़ार में सफर रखा है जारी "राही"का दिल राह-रौ के हसरत-ए-दीद के लिए है तरसता "*राही*"— % & कुछ भी #bevdepanti😛... नमस्कार लेखकों।😊 Collab करें हमारे इस पोस्ट पर और अपने शब्दों द्वारा अभिव्यक्ति कर मौका पाएं रेस्ट ज़ोन से एक ख़ास टेस्टीमोनियल पाने का! 🤩 सबसे बेहतरीन collabs को हमारे पेज पर साझा किया जाएगा इसलिए इस पोस्ट को हाईलाईट और शेयर करना न भूलें!😍