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कौन जाए किस डगर हर तरफ खौफनाक मंजर है दूर तलक है ब

कौन जाए किस डगर हर तरफ खौफनाक मंजर है
दूर तलक है बस्ती मगर हर तरफ बंजर ही बंजर है

चीखती रातें रोते हुए दिन
पग पग चल के चल राह गिन
सड़के उदास है उदासी वाले दिन
चल चल राही चल भर दिन 

भूखे बच्चे पैरों में छाले वाले दिन
याद रखेंगे पटरियों पर सोने वाले दिन
हुक्मरां सरकारी महकमा के डंडे वाले दिन
याद सरकारों के छलावे वाले दिन

अब तो रखेंगेअपने ही माटी को समझेंगे विलायत
डूब क्यों नहीं मरती मरती हुई सियासत
किसपे हुक्म करोगे कैसी रिआयत
इस जुल्म पर भी अमानत में खयानत


                               ✍️ अमितेश निषाद कौन जाए किस डगर हर तरफ खौफनाक मंजर है
दूर तलक है बस्ती मगर हर तरफ बंजर ही बंजर है

चीखती रातें रोते हुए दिन
पग पग चल के चल राह गिन
सड़के उदास है उदासी वाले दिन
चल चल राही चल भर दिन
कौन जाए किस डगर हर तरफ खौफनाक मंजर है
दूर तलक है बस्ती मगर हर तरफ बंजर ही बंजर है

चीखती रातें रोते हुए दिन
पग पग चल के चल राह गिन
सड़के उदास है उदासी वाले दिन
चल चल राही चल भर दिन 

भूखे बच्चे पैरों में छाले वाले दिन
याद रखेंगे पटरियों पर सोने वाले दिन
हुक्मरां सरकारी महकमा के डंडे वाले दिन
याद सरकारों के छलावे वाले दिन

अब तो रखेंगेअपने ही माटी को समझेंगे विलायत
डूब क्यों नहीं मरती मरती हुई सियासत
किसपे हुक्म करोगे कैसी रिआयत
इस जुल्म पर भी अमानत में खयानत


                               ✍️ अमितेश निषाद कौन जाए किस डगर हर तरफ खौफनाक मंजर है
दूर तलक है बस्ती मगर हर तरफ बंजर ही बंजर है

चीखती रातें रोते हुए दिन
पग पग चल के चल राह गिन
सड़के उदास है उदासी वाले दिन
चल चल राही चल भर दिन